रंगों का हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है। हमारे शरीर के स्वास्थ का सम्बन्ध हार्मोनल ग्लैंड द्वारा उत्सर्जित हार्मोन्स की सक्रियता एवं निष्क्रियता पर निर्भर होता है। इन ग्लांड्स/ग्रंथियों को अध्यात्मिक भाषा में चक्र कहते हैं। मुख्यतः सात चक्र हैं - मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र,विशुद्धि चक्र ,आज्ञा चक्र, सहस्त्रार चक्र। जिनके रंग क्रमशः लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, बैंगनी है। इन सातों रंगों के चक्रों की सक्रियता का प्रभाव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ को प्रभावित करता है। अतः इन चक्रों के असंतुलित होने पर चक्र के रंग से सम्बंधित कपड़े/कमरे की दीवारों के रंग का भी प्रयोग किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त घर के खुशहाल वातावरण के लिए वास्तु के नियमों का पालन किया जाना आवश्यक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशा के आधार पर कमरे की दीवारों के रंग का चयन करने का नियम निर्धारित किया गया है। जिसका प्रभाव कमरे में रहने वाले व्यक्ति के शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। आइये देखें घर के कमरों की दीवारों का रंग कैसा होना चाहिए
वास्तु के अनुसार घर के मुखिया का बेडरूम/शयनकक्ष दक्षिण- पश्चिम होना चाहिए। इस दिशा के कमरे की दीवारों का रंग नीला अथवा गुलाबी है। आप चाहे तो इन दोनों रंगों के संयोजन /कॉम्बिनेशन से भी मास्टर बेडरूम की दीवारों में रंग भर सकते हैं।
घर के मुखिया की मानसिक शांति में योगदान देगा नीला रंग, जो कि शीतलता का प्रतीक है। वहीं गुलाबी रंग निश्छल प्रेम का प्रतीक है। इसी तरह इन दोनों रंगों के संयोजन से कमरे की दीवारों में रंग सजाने से घर के मुखिया की प्रेमपूर्ण नज़र और आशीर्वाद सदा बनी रहेगी।
इन दोनों रंगों का प्रभाव घर के मुखिया को स्वस्थ रखने में भी सहायक होगा। सामान्यतः बढ़ती उम्र में गले में कफ /खराश/ थायराइड/दांतों से सम्बंधित समस्या होने की संभावना बनी रहती है। इन समस्याओं का सम्बन्ध विशुद्धि चक्र से सम्बंधित होता है। इस चक्र का रंग नीला होने के कारण इसके प्रभामंडल में ज्यादा समय बीताने पर चक्र का संतुलन बने रहने में मदद मिलेगी।
यदि घर का मुखिया नवविवाहित जोड़ा है, तो प्रेम सम्बन्ध में मधुरता और प्रगाढ़ता बनाए रखने के लिए केवल गुलाबी रंग के शेड के कॉम्बिनेशन से भी बेडरूम की दीवारों को पेंट करवाना ठीक रहेगा।
वास्तु के अनुसार बच्चों के बेडरूम की दिशा उत्तर -पश्चिम अथवा पश्चिम दिशा है। इससे बच्चों की उन्नति में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होने की सम्भावना कम रहती है। इस दिशा के बेडरूम का रंग सफ़ेद, हल्का पीला अथवा हल्के रंगों से पेंट होना चाहिए।
सफ़ेद रंग मासूमियत, शान्ति, पवित्रता और सादगी का प्रतिक है। इस रंग के प्रभामंडल में रहने पर सादगी और सौम्यतापूर्ण आचरण की सकारात्मक उर्जा सक्रीय होती है।
ऐसे हीं हल्का पीला रंग भी बच्चों बच्चों के कमरे की दीवारों को पेंट करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। पीला रंग साहस और सात्विकता का प्रतिक है। यह मणिपुर चक्र का रंग है। इसके संतुलित होने से पाचन तंत्र से सम्बंधित समस्या नहीं होती है। जिससे आलस दूर रहता है। और बच्चे में सकारात्मक उर्जा और सृजनात्मक बुद्धि का विकास होता है।
यह रंग शारीरिक गर्मी को संतुलित रखने में सहायक होता है। बृहस्पति गृह को ठीक करने में भी पीला रंग उपयोगी है। अतः इस रंग से पेंट कमरे की दीवारों की प्रभामंडल में रहने से बच्चों के विवाह में विघ्न नहीं आती है।
उत्तर दिशा में बच्चों का बेडरूम होने पर हल्के हरे रंग से कमरे को पेंट कारवाना उत्तम माना जाता है। इसका कारण हर रंग बुध गृह का रंग होने के कारण मानसिक संतुलन, कर्मठता, नवजीवन और आशा का संचार करने में सहायक माना जाता है।
वास्तु के अनुसार हॉल उत्तर -पूर्व या उत्तर - पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है। इस दिशा में बने हॉल का रंग हल्का एवं उर्जा से भरपूर होना चाहिए। ये वो स्थान होता है, जहाँ परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर सलाह मश्वरा करते हैं या आरामदायक वातावरण में रिलैक्स होने के लिए बैठते हैं।
अतः घर के हॉल की दीवारों का रंग हल्का पीला अथवा सफ़ेद या दोनों का कॉम्बिनेशन कलर से पेंट करवाया जाना चाहिए। सफ़ेद रंग शान्ति और पीले रंग से ऊर्जावान वातावरण के प्रभामंडल का प्रसार होता है।
वास्तु के अनुसार गेस्ट रूम घर के उत्तर -पश्चिम दिशा में होना ठीक रहता है। इस दिशा को आवागमन का प्रतीक माना जाता है। इस दिशा में मेहमानों के ठहराने का रूम होने से सकारात्मक नजरिये का घर में प्रवेश होता है।
इसके साथ हीं गेस्ट रूम का रंग हल्का एवं सौम्य होना चाहिए। जो नज़रों को सुकून देने वाला हो ऐसे रंगों में धानी रंग/ हल्का हरा अथवा सफ़ेद रंग सबसे उपयुक्त रहता है।
धानी रंग प्राकृतिक छटा की भाँती आँखों और मन को सुकून प्रदान करता है। जो मन की शान्ति और भावनाओं के संतुलन में सहायक होता है।
सफ़ेद रंग शान्ति, पवित्रता एवं सादगी का प्रतिक है इस रंग के प्रभामंडल का प्रभाव मेहमानों को सकारात्मक उर्जा से पूर्ण करता है।
वास्तु के अनुसार रसोईघर घर के दक्षिण -पूर्व दिशा में होना चाहिए इस दिशा का स्वामी शुक्र ग्रह है। अतः रसोईघर /किचन में सकारात्मक उर्जा के प्रवाह के लिए शुक्र ग्रह से सम्बंधित रंगों से हीं दीवारों को पेंट करवाना चाहिए। जैसे- गेरुआ, सफ़ेद अथवा पीला।
यदि रसोईघर में किसी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करने के लिए आग्नेय कोण /दक्षिण -पूर्व दिशा की दीवार को लाल रंग से पेंट करवाया जा सकता है।